243 लोगों के इरादतन हत्या के आरोप में मुख्यमंत्री नीतश कुमार के खिलाफ मुजफ्फरपुर में दायर परिवाद को CJM कोर्ट ने किया स्वीकार।


मुजफ्फरपुर : 2016 में शराबबंदी क़ानून लागू करने कर बाद से ले कर अब तक जहरीली शराब पीने से कुल 243 लोगों की मौत हो चुकी हैं। उक्त मामले में आरटीआई (RTI) के हवाले से जानकारी प्राप्त कर अधिवक्ता सुशील सिंह ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार सहित उत्पाद आयुक्त विनोद सिंह गुंजियाल एवं राज्य के सभी उत्पाद अधीक्षकों के खिलाफ  मुजफ्फरपुर कोर्ट में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद दायर किया गया है। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।

सुशील सिंह बताते हैं की शराबबंदी को लागू करने के संदर्भ में सरकार ने लोगों के बीच में जागरूकता अभियान को ठीक तरीके से नहीं चालया। जिस कारण जागरूकता के अभाव में लोग यहाँ जहरीली शराब का सेवन कर मर रहे हैं। अधिवक्ता ने नितीश सहित सभी अधिकारीयों पर भादवि की धारा 304,120 (बी), 34 के तहत 243 लोगों के गैर इरादतन हत्या के आरोप लगाया हैं। उक्त मामले में आगामी 16 सितम्बर 2023 को कोर्ट में सुनवाई होंगी।

अधिवक्ता बताते हैं की बिहार में दो प्रकार की शराबबंदी क़ानून चल रही हैं।  बिहार के बड़े-बड़े नेता, बड़े-बड़े नौकरशाह, पूंजीपति, डॉक्टर, इंजीनियर एवं माफिया महंगे शराब का लुत्फ उठा रहे हैं और उनके विरुद्ध अभियुक्तगण द्वारा आंशिक कार्रवाई की जा रही है। सस्ती और जहरीले शराब पीकर बिहार के साधनहीन गरीबों की मौत एवं कुछ को शारीरिक क्षति हो रही है और बचे हुए बिहार के लाखों गरीब तबके के लोग जेल भेजे जा रहें हैं। इससे स्पष्ट है कि बिहार में दो तरह का शराबबंदी कानून है। बिहार के साधनहीन के लिए अलग एवं साधन संपन्न के लिए अलग और इस कानून ने बिहार में एक नए प्रकार के अपराध को जन्म दिया है। वास्तव में देखा जाए तो जेल शराब मामले में बंद कैदीयों से भरा हुआ है।