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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री का बड़ा बयान |
पटना : राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने जातीय जनगणना पर बड़ा बयान दिया है। बीते दिन पटना हाई कोर्ट के द्वारा जातीय जनगणना पर रोक लगाए जाने कपिल को खारिज कर दिया है। जिसे एक तरफ जदयू और राजद की जीत बताई जा रही है। वहीं इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तरकिशोर प्रसाद ने जाति आधारित जनगणना पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा रोक हटाए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय एनडीए की सरकार का ही था। जिसमें बिहार के कई राजनीतिक दलों की सहमति भी थी। लेकिन जिस प्रकार से राजद अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहा है एवं भाजपा को जनगणना के खिलाफ बता रहा है यह इसके राजनीतिक दिवालियेपन का परिचय है।
तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि महागठबंधन सरकार की राजनीतिक जमीन बिल्कुल खिसक चुकी है। जिससे घबराहट में इस प्रकार का बयान दिया जा रहा है। वही ईडी की की कारवाई से लोगों का ध्यान हटाने के लिए राजद नेता अनाप-शनाप बोल रहे हैं। श्री प्रसाद ने आगे कहा की भाजपा को राजद से चरित्र प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। श्री प्रसाद ने कहा की राजाद चाहे जितना भी अनाप-शनाप कह ले परंतु केंद्र ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लोक कल्याणकारी योजनाओं को जिस प्रकार से आम लोगों तक पहुंचाने का काम किया है जिसकी तारीफ देश व विदेश के लोग कर रहे हैं।
ज्ञात हो की यह पहली बार नहीं है जब किसी राज्य में जातीय जनगणना की जाएगी। देश में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी। पहली बार हुई जनगणना में भी जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे। तब से हर 10 साल पर जनगणना होती है। 1931 तक की जनगणना में जातिवार आंकड़े भी जारी होते थे। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें जारी नहीं किया गया।