बिहार : लगभग 7 साल पहले बिहार सरकार के द्वारा राज्य में संपूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर दी गई थी। जिसके बाद बिहार को ड्राई स्टेट घोषित किया गया। जिस वक़्त बिहार में शराबबंदी हुई यानी कि 1 अप्रैल 2016; तब नीतीश कुमार महागठबंधन की सरकार चला रहे थे। फिर सरकार NDA की भी बनी, नीतीश ने भाजपा के साथ भी सरकार चलाया। परंतु शराबबंदी जारी रहा। शराबबंदी की घोषणा के समय जो भाजपा नीतीश कुमार के इस नीति का विरोध कर रही थी, सरकार बनते ही उन लोगों ने नीतीश के इस नीति की सराहना करना शुरू कर दिया।
बिहार में शराबबंदी मानो तो मील का पत्थर हो गया हो। लंबे समय तक इसका प्रभाव तो जरूर है। पर सवाल उठता है कि क्या शराबबंदी के 7 साल के बाद भी बिहार क्या ड्राई स्टेट बन पाया है?
तो इस सवाल के जवाब के लिए हम आंकड़ों पर नजर डालते हैं; वह आंकड़े जो बताते हैं कि आज भी बिहार में शराबबंदी के नाम पर कितनी गिरफ्तारी प्रत्येक दिन की जा रही है। तो वही कितने लीटर शराब प्रत्येक दिन प्रशासन की पकड़ में आ रही है।
यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो लगता है जैसे बिहार में बहार है शराब ही शराब है! शराबबंदी कानून को लेकर नीतीश जितनी सख्त नजर आते हैं, जमीनी स्तर पर शराबबंदी को लेकर उतने ही विफल भी नजर आ रहे हैं।
बिहार में प्रत्येक दिन हजारों लीटर शराब पाया जा रहा है, तो वही सैकड़ों-हजारों लोगों की प्रत्येक दिन गिरफ्तारी भी की जा रही है। बिहार के सभी जेल शराबबंदी कानून का उल्लंघन कर रहे लोगों से भरा पड़ा है।
इसी बीच शराबबंदी को लेकर बिहार में अनेकों प्रकार के नए मामले भी सामने आए हैं; जहरीली शराब से भी अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी हैं। तो वही छोटे-मोटे गुंडे शराब तस्करी कर धन संचय करके अब बड़े गुंडे बन चुके हैं। ऐसे में शराबबंदी कानून की वजह से मनो लगता है कि आने वाले समय में अपराध जगत को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि इसका कुछ एक अंश भी नजर आने को मिलता है।
हालांकि ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार इस कानून को और सख्त बनाने हेतु प्रत्येक दिन मशक्कत नहीं कर रहे। परंतु हर ओर अब तक सिर्फ सरकार की विफलता ही नजर आ रही है। सरकार जितना ही सख्त कानून लाने का प्रयास करती है लोग उतने ही रास्ते शराबबंदी कानून के उल्लंघन का निकाल लेते हैं।
सूत्रों एवं बिहार के लोगों की माने तो शराब तो अब आराम से लोगों के घर पर होम डिलीवरी के तौर पर उपलब्ध हो जाता है, छुप छुपाकर लोग अभी शराब का सेवन बड़े स्तर पर कर रहे हैं। वहीं पकड़े जाने पर लोगों को या तो जुर्माना देना पड़ता है नहीं तो जेल जाना पड़ता है।
यदि बिहार के जेलों को उठाकर देखें तो शराबबंदी कानून का उल्लंघन कर रहे लोगों से भरा पड़ा है।
अब चलिए आंकड़ों की बात कर लेते है। हमारे पास बिहार के 1 जिले मुजफ्फरपुर का बिगत 1 महीने का रिकॉर्ड है। इसमें मात्र पिछले महीने मई की बात यदि करें तुम 12638 लीटर विदेशी शराब बरामद किया गया है। ये आंकड़े बिहार पुलिस के द्वारा ही जारी किया गया है। अब यदि यह सिर्फ 1 जिले का हाल है, तो बाकी जिलों का क्या हाल होगा यह तो आम जनता ही सोच समझ सकती है।
बिहार की जनता को इस आंकड़ों के अनुसार यह जरूर सोचना चाहिए कि क्या बिहार में वाकई शराबबंदी है, या शराबबंदी नाम का एक रूम रचा जा रहा है। मेरे शब्द कड़वे जरूर हैं परंतु यह वास्तविकता है ढोंगी इसलिए क्योंकि इसी तरह बंदी के नाम पर अब तक जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो चुकी है।