पटना : खबर जरा सी पुरानी जरूर हो गई है; परंतु ऐसी खबर है जिसे आम नागरिकों को जरूर जानना और समझना चाहिए। हमारे प्रयास के बदौलत हम किसी भी बड़े से बड़े काम को अंजाम दे सकते हैं। आपके द्वारा मदद के लिए बढ़ाए गए हाथ जरूर किसी के लिए खुशियों का सबब बन सकता है। मामला पटना से संबंधित है; ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड के एकमात्र गवाह ओम नारायण का मकान यह माई का भुगतान नहीं करने पर बैंक ने जब्त कर लिया था। लोन का रकम 12 लाख 70 हजार था, परन्तु कहते हैं जब आपका मन सच्चा हो तो भगवान हर समस्या का हल निकाल ही देते हैं।
डॉ रत्नेश चौधरी ने एक सामूहिक प्रयास किया और उस पर प्रयास के बदौलत बैंक द्वारा जप्त किए गए मकान को वापस से ओम नारायण को सौंप दिया गया। दरअसल या प्रयास सोशल मीडिया के जरिए से किया गया।
आइए आप इस पूरे प्रकरण को समझते हैं। 2014 में ओम नारायण ने एक्सिस बैंक से 12 लाख 70 हजार का लोन लिया था। वे 2016 तक ईएमआई जमा करते रहे। इस दौरान ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड के एकमात्र गवाह होने के कारण उन पर दो बार हमला भी हुआ था; इसके बाद सीबीआई के कहने पर राज्य सरकार की ओर से उन्हें बॉडीगार्ड मुहैया कराया गया था। गवाही -हमले एवं अन्य कारणों से इनका व्यापार काफी प्रभावित हो गया और यह ईएमआई जमा नहीं कर पाए। जिसके बाद 10 मार्च 2023 को पटना के दानापुर, शाहपुर स्थित मकान को एक्सिस बैंक ने जब्त कर सील कर दिया। जिसके बाद ओम नारायण सपरिवार सड़क पर आ गए; फिर लोगों की मदद से कुछ दिनों तक होटल में और फिर लॉज में रहना पड़ा। परंतु बाद में सगुना मोड़ के पास उन्हें एक किराए का मकान मिला।
इसके बाद डॉ रत्नेश चौधरी, डॉक्टर्स की टीम, इंडियन फिजियोथैरेपी क्लब, भू -मन्त्र के अखिलेश जी, ओम प्रकाश, एडवोकेट नीरज और स्वयंसेवी संस्था के सदस्य के द्वारा की गई पहल एवं आम लोगों के सहयोग और चंदे से इनकी घर वापसी का अभियान शुरू किया गया। लोगों ने ₹11 से लेकर कई हजार तक का चंदा इकट्ठा किया और बैंक के सेटेलमेंट के अनुसार निर्धारित राशि 20 जुलाई के 15 दिन पहले 5 जुलाई को ही बैंकों वापस कर दिया गया। जब 9 जुलाई तक घर वापस नहीं मिला तो टीम के सदस्यों ने बैंक के अधिकृत शिकायत संस्थान और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात बैंक को कहीं। फिर आनन-फानन में बैंक ने ओम नारायण को 10 जुलाई को घर सौंप दिया।
इस तरह से एक सामूहिक प्रयास के बदौलत ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड के गवाह ओम नारायण को उनका घर वापस दिलाया गया।
समाज में इस प्रकार के सार्थक प्रयासों के बदौलत हम सभी कई बड़े से बड़े काम को कर सकते हैं। पर इसके लिए सार्थक और सामूहिक प्रयास का पहल करना जरूरी है।